Ramghat A Tourism Place Chitrakoot.

                                                             रामघाट

चित्रकूट में मां मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित पवित्र स्थान को राम घाट के नाम से जाना जाता है। मंदाकिनी नदी का जो हिस्सा उत्तरप्रदेश में आता है उसे पायस्वानी नदी के नाम से जाना जाता है। राम-घाट मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में स्थित है जोकि उत्तरप्रदेश से लगा हुआ क्षेत्र है। हिन्दू मान्यता के अनुसार यह मानना है कि जो भी मानव यहां आके मां मंदाकिनी में स्नान करते है तो उसके जन्मजन्मांतर के पाप मिट जाते है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।


ऐसा माना जाता है कि ये वही स्थान है जहां प्रभु राम, माता सीता और बन्धु लक्ष्मण सहित स्नान करते थे। इन्हीं कारणों से इस घाट का इतना महत्त्व है और इसका नाम रामघाट पड़ा।


यहां की संध्या आरती का बहुत ही मनोरम दृश्य है।

और आजकल तो यहां संध्या आरती काशी की तरह होने लगी है। जोकि बहुत ही मनोरम और मन को लुभाने वाली लगती है।

इस घाट के किनारे भगवान शंकर का मंदिर स्थित है जो कि मतगजेंद्र नाथ के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में ऐसा मानना है कि प्राचीन समय में (सतयुग में) चित्रकूट के राजा या क्षेत्रपाल भगवान शिव थे। जब प्रभु राम चित्रकूट में आए तो उन्होंने यहां रहने के लिए इन्हीं ( भगवान शिव) की आज्ञा लेने के लिए अपने अनुज लक्ष्मण को इनके पास भेजा था। जब प्रभु लक्ष्मण यहां आज्ञा लेने के लिए आए तो वो चकित रह गए। क्योंकि जब उन्होंने जब उनसे आज्ञा मांगी तो एक मुद्रा में ध्यानमग्न होकर उत्तर दिया था जो की प्रभु लक्ष्मण के समझ में नहीं आया था। वह मुद्रा थी जिसमे वो अपने एक हाथ से अपनी जीभ को पकड़े हुए है और दूसरे हाथ से अपने लिंग को पकड़े हुए है। ये सब देखकर भगवान राम के पास प्रभु लक्ष्मण पहुंचे और यहां का सारा वृत्तांत बताया तो प्रभु राम ने उन्हें समझाया कि हे लक्ष्मण उन्होंने कुछ भी ना कहते हुए भी सब कुछ कह दिया है। श्री राम बोले हे लक्ष्मण जो मनुष्य अपनी जुबान(जीभ्या) और लिंग( निभ्या) में अपना नियंत्रण कर ले तो वो चित्रकूट क्या संसार के किसी भी कोने में रह सकता है। यह मतगजेंद्र नाथ का मंदिर यहां आने वाले श्रद्ालुओं के लिए आस्था का केंद्र बिंदु है। ज्यादातर श्रद्धालु यहां हर अमावस्या और पूर्णमासी को आते है तो वो सबसे पहले मंदाकिनी स्नान करते है उसके बाद मतगजेंद्र नाथ के दर्शन और उनको जल अर्पण करके ही आगे की यात्रा प्रारंभ करते है।

यहां पर प्रतिदिन यहां रहने वाले अपने समयानुसार आते है और स्नान करते है और उसके उपरांत मंत्रों से मां मंदाकिनी का पूजन अर्चन करके शिव जी का जल अभिषेक करते है। उसके उपरांत वो अपनी दिनचर्या चालू करते है।


हिन्दू धर्म में ये प्रमाण भी है कि गोस्वामी तुलसीदास को भी सर्वप्रथम प्रभु राम के दर्शन इसी घाट पे हुए थे उसके पश्चात है उन्हें भगवान राम की रामचरितमानस लिखने की प्रेरणा मिली थी। कहते है कि गोस्वामी तुलसीदास ने जब यहां आकर भगवान राम के दर्शन के लिए घाट के किनारे बैठ के प्रतिदिन चंदन घिसना शुरू किया वो भी इस उम्मीद में कि प्रभु राम आएंगे और वो उन्हें तिलक करेंगे तो भगवान राम तब साधारण मनुष्य का वेश रखकर माता सीता और बन्धु लक्ष्मण के साथ आए और गोस्वामी तुलसीदास जी पहचान नहीं पाए। तब प्रभु हनुमान ने तोते का वेश बनाकर एक चौपाई में उन्हें प्रभु राम के दर्शन करवाए थे -

चित्रकूट के घाट पे भय संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर।

वह स्थान आज भी रामघाट के किनारे ही स्थित है जिसे तोतामुखी हनुमान के नाम से जाना जाता है।

 इस प्रकार प्रभु राम माता सीता और अनुज लक्ष्मण सहित तीनों के दर्शन तुलसीदास जी को यही हुए।


रामघाट में ही प्रभु श्री राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पुत्र तर्पण किया था। जिसको देखने के लिए सभी देवता मनुष्य रूप में यहां आए थे। तभी से यहां पितृ तर्पण करने का भी अलग ही महत्व है। कुछ समय पहले जब बॉलीवुड के महानायक अभिताभ बच्चन के पिता जी का स्वर्गवास हुआ था तो वो भी उनका तर्पण करने यहां आए थे। यहां साल में दो से तीन केंद्रीय मंत्रियों का भी आगमन होता रहता है। जो कि यहां के विकास के लिए बहुत सी सुविधाएं और बजट दे कर जाते है जिसका उपयोग होता जा रहा है और चित्रकूट का दृश्य मनोरम होता जा रहा है।


इस लेख को लिखने को लिखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि श्रद्धालु यहां आए तो यहां के एक एक स्थान का महत्व समझते हुए और उसका वैदिक महत्व को जानते हुए अपनी यात्रा आरंभ करें। यहां आने वाले पर्यटक यहां आने पर ध्यान दे कि जब भी यहां आए तो भगवान राम का स्मरण करते हुए जय श्री राम का जयकारा या मन में स्मरण करते हुए यहां की यात्रा करे। साथ ही ये भी ध्यान दे की यह एक पवित्र भूमि है तो यहां अपशिस्ट पदार्थों का सेवन जैसे तम्बाकू सिगरेट और अल्कोहल का सेवन करने का प्रयास ना करे और चित्रकूट की स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखने में अपना अमूल्य योगदान दे। 

                   बोलिए जय श्री राम………..


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