गुप्त गोदावरी चित्रकूट(gupt godavari chitrakoot)
गुप्त गोदावरी चित्रकूट
मित्रो पिछले आर्टिकल में हम चित्रकूट के रामघाट, कामदगिरि परिक्रमा, हनुमान धारा एवं स्फटिक शिला के बारे में विस्तार पूर्वक जाना। आइए इसी क्रम में हम चित्रकूट के एक रमणीय एवं अतुलनीय स्थान के बारे में जानते है जिसका नाम गुप्त गोदावरी है। यह तीर्थ स्थल भी मध्यप्रदेश के अन्तर्गत आता है।
गुप्त गोदावरी भी पर्वत में स्थित है। यहां पहुंचने पर आप प्रकृति का भरपूर आनंद पाएंगे। यहां आपको पहाड़ के अंदर प्राकृतिक गुफा के दर्शन होंगे।
यहां के बारे में ऐसा मानना है कि किस्किंधा नरेश बाली के यहां एक समय एक मायावी राक्षस घुस आया और वह रोज रात को बाली को किस्किंधा के द्वार से ललकारता था। बाली जब उससे युद्ध करने आता था तो वह भाग लेता था। एक दिन बाली ने उसकी ललकार सुं कर मन में ठान लिया कि आज तो इसका अंत करके ही आयूंगा। यह सोचकर बाली वहां से चल दिया तो पीछे-पीछे उनके छोटे भाई सुग्रीव भी चल दिए। दोनों ने मिलकर उस राक्षस का पीछा किया। राक्षस अपनी जान बचाने के लिए एक गुफा में घुस गया। अब बाली ने अपने छोटे भाई को आदेश दिया कि तुम यहीं गुफा के द्वार ही पहरा दो और मेरा इंतज़ार करो। मै इसका अंत करके आता हूं। तब सुग्रीव जी ने बहुत जिद की कि मै भी साथ चलता हूं तो बाली बोले नहीं सुग्रीव तुम मेरा यह पर एक पखवाड़े तक रुकना और अगर मै ना आऊ तो जान लेना कि मै मारा गया। यह सुनकर सुग्रीव वही गुफा के द्वार पर रुक गए और बाली आगे बढ गया। बाली और सुग्रीव के बीच घोर युद्ध हुआ जो कि काफी दिन तक चला। इधर सुग्रीव को इंतज़ार करते हुए एक पखवाड़े से ऊपर काफी दिन हो गए। सुग्रीव को चिंता होने लगी। तभी सुग्रीव को सफेद रक्त की धार गुफा के द्वार से बाहर निकलती नजर आयी। सुग्रीव ने सोच लिया कि मेरा भाई मारा गया क्योंकि बाली महा पराक्रमी था जिस कारण उसका रक्त सफेद था। अब सुग्रीव ने सोचा जो बाली जैसे महापराक्रमी को मार सकता है तो वह मुझे तो मार ही डालेगा। यह सोचकर सुग्रीव ने बड़ी सी शिला को उठाकर गुफा के द्वार को ही बंद कर दिया। उसने सोचा द्वार बंद होने से गुफा में अंधेरा छा जाएगा और राक्षस वही रास्ता खोजते खोजते ही मार जाएगा और बाहर नहीं आ पाएगा। जबकि इधर बाली नहीं मायावी राक्षस मारा गया था। मायावी राक्षस भी बहुत ही बलशाली था इसलिए उसका भी रक्त सफेद था। और अब इधर गुफा में आंधेरा छा जाने के कारण बाली रास्ता भटक गया और रास्ता खोजते खोजते यहीं निकला और तभी उनके पीछे से एक छोटी गंगा कल कल का स्वर करती हुई निकाल पड़ी तभी से इसका नाम गुप्त गोदावरी पड गया।
यहां पर दो गुफाएं है जिसमें से एक का वृतांत मै आपको बता चुका हूं। इस गुफा में १२ महीने घुटने तक पानी भरा रहता है। यहां पर जब आप पानी के अंदर जाए तो सावधानी रखे।
अब हम दूसरी गुफा के बारे में जानते है। दूसरी गुफा में हमें राम लक्ष्मण और माता जानकी के दर्शन होते है। साथ ही यहां हमें गुफा में ऊपर की तरफ एक पत्थर लटकता हुआ दिखाई देता है और जिसे हिलाने पर वह हिलता है, इसे हम खटखटा चोर के नाम से जानते है। इसके बारे में ऐसा मानना है कि एक बार माता जानकी यही स्नान कर रही थी। तो यह चोर माता सीता के कपड़े चुरा ले गया था। तभी प्रभु ने इसे दण्डस्वरूप यही लटका दिया था और तब से ये यही लटका है। यहां का दृश्य बहुत ही मनोरम और मन को लुभाने वाला है। इन गुफाओं के बाहर कुण्ड बने है जिसमें गुफा का पानी गिरता है। यहां के शीतल जल में लोग स्नान करते है और अपने आप को बहुत ही खुसनसीब मानते है। ऐसा है हमारा गुप्त गोदावरी
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